आजकल के बच्चे
आजकल के बच्चे
आजकल के बच्चे भी ना सिर्फ मोबाइल ही में उलझे रहते हैं। घर से बहार खेलते भी नहीं। तभी दुसरी बोली कम सै कम बदमासी तो कम करते है और कपड़े भी कम गन्दा होता है।और सौर भी कम करते हैं।
तभी तीसरी मेरा बेटा तो बहुत छोटा है।पर नेट चला लेता है जितना उसके पापा को भी नही पता उन्त्ना उसको आता हैं। उसके चहरे पर मुघे वो खुशी देखी जैसे उसके बेटे ने कोई बारआ अवार्डजीता हो।मैं उन औरतो की बाते आराम सै सुन रही रही थी।आजकल हर घर की यही सिकायत होती है।मेरा बच्चा मोबियेल जादा देखता है या गेम जाता खेलता है ।अब तो छोटे छोटे बच्चे भी सोशल मिडिया पर खुब ऐक्टिव रहते हैं और गर्जियेन रोना रोते है आजकल के बच्चे सिर्फ मोबाइल मैं ही उलझे रहते हैं।
ये आजकल के बच्चे के मोबाइल हाथ में किसने दिया हम ने। हम ने उनकी जिन्दगी खराब की हैं।
मेरा बेटा बहुत रो रहा था। मैंने उसको मोबाइल में गाना लगा दिया वो चुप हो गया और शांत होकर खेलने लगा। बच्चे जो भी सीखते हैं वो अपने घर सै सीखते हैं हम उठते ही मोबाइल को देख है। दो मिनट मोबाइल आँखों से दूर हो जाय तो लगता है कि जिगर का टुकड़ा दूर हो गया।
बच्चे तो बस हमारी नकल करते हैं। कुछ लोग तो बच्चे का मोबाइल चलना बहुत तारीफ की बात समझते हैं लेकिन मोबाइल से निकलने वली रेडिएशन बच्चे को कितना हानी पहुँचाती है।
ऐसा हम नहीं जानते। या सब कुछ जानते हो।
ऐसे अंजान बने हो है। आज कल हर घर में मोबाइल है और जरूरत भी है पर हम उस जरुरत में खो गए है।
जो हम करते है वही हमरे बच्चे। बच्चे के सामने कम मोबाइल का उपयोग करे उसे मोबाइल में गाना बजाकर सुनने से अच्छा है।
उसे कोई लोरी सुनाएगा। हम उन्हें खुद ही मोबाइल पकड़ा कर खुद ही कहते हैं उफ्फ्फ आजकल के बच्चे भी ना।