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आईना-ए-डायरी

आईना-ए-डायरी

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जून 12 - अकेलापन और रोमियो

तुम इतना अकेले क्यों रहते हो जबकि मैं तुम्हारे साथ ही रहती हूँ ? पास रहने पर भी लगता है कि कहीं किसी समुद्र के ऊपर तैर रहे हो. यह गलत है. मैं तुम्हारे साथ रहने के बाद भी बस तुम्हारा इंतजार करती रह जाती हूँ. अकेलेपन का यह कौन सा रूप है ? मुझे समझ नहीं आता. अजीब सी छटपटाहट होती है. बेचैनी सी रहती है. सांस भी रूक जाती है. उफ़ ! मुझे क्या हो रहा है ! एक छोटा पत्थर भी पानी में फेंक दो तो तरंग उठ जाती है. पर तुम तो समुद्र की गहराई की तरह शांत रहते हो. भला ऐसे भी कोई करता है !

जून 13 - बेवकूफ जूलिएट

तुम इतना समझाते क्यों हो ? मैं बेवकूफ तो नहीं हूँ. सुनती हूँ क्योंकि इस बहाने तुम अपनी ख़ामोशी तोड़ते हो. चलो ठीक है तुम्हारी आवाज़ सुनने का मोल मेरी बेवकूफी है तो कभी कभी तो मंजूर कर ही सकती हूँ. हमेशा नहीं. तुम्हें ऐसा लगता है कि मुझे कुछ खबर ही नहीं है. तो क्या जरा देर से बातें समझ आती हैं ! आती तो हैं. घर लौट के आने के बाद तक मैं तुम्हारी बातें दोहराती हूँ...रुको, गुनगुनाती हूँ. पर सुनो मैं बेवकूफ नहीं हूँ...समझे ! प्यार है तुमसे वरना तो हिसाब मैं नंबर वन हूँ. एक पाई इधर न उधर ! एक बात कहूँ, मुझे तुम्हारे साथ बैठना और बात करना बहुत पसंद है. तुम्हें सुनना, मुझे इतनी ख़ुशी और तसल्ली देता है कि मैं बता नहीं सकती. प्यार आपको एक अच्छा सुनने वाले में तब्दील करता है. सुनना धैर्य देता है. जान-बूझकर मासूम बनती हूँ ताकि तुम मुझे समझा सको. इस बहाने तुम्हारा साथ मिलता है...पर सुनो ! मैं बेवकूफ नहीं हूँ !

18 जून - खोजकर्ता जूलिएट

लो अब मैंने क्या कर दिया ? तुम हर बार यही पूछते हो. पर मैं दुविधा में पड़ जाती हूँ कि इसका वाजिब जवाब क्या दूँ. तुम्हें अपने जवाब से संतुष्ट नहीं करना चाहती. पर यकीं करो मैं खुद के लिए तुमसे जुड़े जवाब खोजती रहती हूँ. घर में रहूँ या बाहर, मैं कुछ न कुछ खोजती रहती हूँ. महबूबा बन रही हूँ या खोजकर्ता, यह भी नहीं समझ पा रही. तुम मेरी मदद भी तो नहीं करते ! 'खोजना' यह बतलाता है कि कुछ गुम हुआ है. यह भी बताता है कि कोई नई चीज मिलेगी या किसी नई बात का पता चलेगा. कोई रहस्य खुल जायेगा. लेकिन तुम्हारे पास रहो तो हर पल तुम्हें नई तरह से पाती हूँ. तुम चौंका देने वाले शख्सियत लगते हो. मेरे लिए यह सब आसान नहीं है. प्रेमिका का हर पल चौंकना ठीक बात नहीं. हाँ, पर इस हैरान हो जाने

में भी एक मज़ा है. मुझे इस बात का घमंड है कि मेरा प्रेमी कोई नीरस आदमी नहीं है. वह तो तिलिस्म है. मैं तुम्हें पाकर बहुत खुश हूँ. मैं बता नहीं सकती कितनी!

20 जून - कन्फ्यूजन है

कभी कभी लगता है कि तुम्हें भी मोहब्बत है. इस बात से राहत मिलती है. आहिस्ता-आहिस्ता जब तुम्हारी हर बात को दोहराती हूँ तब लगता है कि हाँ है न मोहब्बत. लेकिन तभी तुम सब कुछ उलट पलट कर रख देते हो. फिर बढ़ते कदम थम जाते हैं. तब समझ नहीं आता कि बातें दोस्तों की तरह करूँ, महबूबा की तरह करूँ या फिर अजनबी की तरह ? तुम्हें घूरते हुए पहचानने की कोशिश रहती है. मैं क्यों कन्फ्यूज हो रही हूँ ? मैं अपने को तुम पर थोपना भी तो नहीं चाहती. थोपना प्यार का क़त्ल कर देता है. शायद एक रोज़ मेरी कंफ्यूजन दूर हो जाएगी. मुझे उस दिन का इंतजार है. असमंजस प्यार को बरक़रार रखने या दिलचस्प बनाये रखने के मसाले जैसा है. पर कभी कभी यह दहला भी देता है. जो शख्स आपके अन्दर घुल रहा है, वह यदि अपने बर्ताव से एक पल में ही अनजाना और अजनबी बन जाये तो डर लगना तय है. यही सब सोचकर कंफ्यूजन बढ़ जाती है. तुम भी तो इसे दूर करने की कोशिश नहीं कर रहे !

25 जून - झगड़ा फिर इकरार

अरे यार हद है ! मैं पागल हो जाउंगी. अगर यह सब ऐसा ही चलता रहा तो पक्का एक रोज़ मेरा दिमागी संतुलन बिगड़ जायेगा. अच्छा हुआ जो आज झगड़ा हो ही गया. सच में, मेरा माथा सनक जाता है रोज़ सोच सोचकर. ठीक हुआ जो किस्सा ख़त्म हुआ. मैं तुम्हें नहीं झेल सकती. भला कोई अपनी जिद्द पर इस तरह भी अड़ा रहता है ! मैंने तो उसी दिन कहा था, कि या तो तुम चले जाओ या फिर मुझे जाने दो. लेकिन तुम्हें कुछ समझ आये तब न. जब लगता है कि तुम गए तब राहत होती है कि चलो एक बार दर्द होगा फिर समय उस पर भी मरहम लगा देगा. लेकिन कुछ दिन बाद फिर आ जाते हो. आज गए हो तो खुदा की कसम न लौट कर आना. जहाँ हो वहीं रह जाना... फिर भी एक बात बोलूं - “मैं तुमसे प्यार करती हूँ !”

तुमसे झगड़ा हो तो कहीं अन्दर तुम्हें खो देने का खौफ समा जाता है. दो आंसू निकलते हैं और मैं उनमें घुल सी जाती हूँ. यह सब इतना आसान नहीं. प्रेमिका की बनावट कच्चे घड़े की तरह होती है. अगर प्रेमी का प्यार उसे पकाए नहीं तो मजबूती कहाँ से आएगी ? तुमने कभी सोचा है इन बातों के बारे में ? तुम इस डायरी में ज्यादा नजदीक रहते हो. यहाँ झगड़ते भी नहीं. इसलिए यहाँ बार बार यही लिख देने का मन होता है - 'तुमसे प्यार है...तुमसे ही तो प्यार है !'


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