आग लगा लो खुद ही संसार को
आग लगा लो खुद ही संसार को
"शर्माजी ! वो गुप्ता बिल्डर वाली फाइल आप आगे पास क्यूँ नहीं कर देते, बड़े सज्जन आदमी है गुप्ताजी.."
"रहने दीजिए वर्माजी ! आपके गुप्ता जी की सज्जनता से सब परिचित हैं.. आप इतना चाव क्यूँ दिखा रहे हैं ?"
"अरे हम चाव दिखा कर भी क्या करेंगे शर्माजी, विकास समिति के बड़े बाबू आप है, आपके हाथ में सब.. अरे राष्ट्रीय राजमार्ग के पास की जमीन है गुप्ताजी बढ़िया मॉल और बगीचों वाली स्मार्ट सिटी बनाएंगे, थोड़ा विकास का भी सोचिए "
"अब सही सही बताइए वर्माजी ! किसके विकास की बात कर रहे हैं राज्य की या अपनी, गुप्ताजी ने क्या लोभ दिया है ? "
"अरे राधे ! आज शर्माजी को चाय की जगह ठंडा दे, गरम हो रहा है दिमाग जरा.. आप भी ना शर्माजी अब हम अकेले का विकास थोड़े करेंगे.. हैं !..आप अपना बता दीजिए बस ! "
"पर वर्माजी ! ये जो लाखों पेड़ काट दिए जाएंगे जंगल के उसका सोचा है.. नज़र ना जाएगी सबकी और प्रदूषण का क्या, वैसे ही दमे ने परेशान कर रखा है "
"आप इतना मत सोचिए, जंगल में तो आग लगती रहती है, है ना और विकास के कदम बढ़ रहे हैं थोड़ी साँस और थोड़े पेड़ कुर्बान तो होंगे ही.. तो शर्माजी शाम को गुप्ताजी के घर पार्टी में मिलेंगे।"
गुप्ताजी के घर पार्टी हुई भविष्य के आधार जंगलों के सफाया कैसे करना है उसपर चर्चा हुई, और अगले हफ्ते प्रदूषण हटाओ अभियान में जनता से सहयोग कैसे लेना है इसका भी प्रारूप तैयार किया गया।