आधा - अधूरा सपना; भाग ४
आधा - अधूरा सपना; भाग ४
विपिन पढ़ने में तो अच्छा था ही, पी एम टी की परीक्षा उसने पहली बार में ही उत्तीर्ण कर ली और उसका एम बी बी एस में दिल्ली में एडमिशन हो गया। वो पहली बार घर से बाहर हॉस्टल में रहने जा रहा था। माँ का बुरा हाल था। वो बहुत भावुक हो रही थी और जब विपिन पापा के साथ गाडी में बैठा तो माँ के आंसू नहीं रुक रहे थे।मधु भी थोड़ी भावुक हो गयी पर उसने अपने आंसू रोक रखे थे और वो माँ को समझाने लगी। हॉस्टल में उसको कमरे में छोड़ कर उसके पिता वापिस आ गए। अनु का भी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन हो गया था पर उसे आगरा का कॉलेज मिला था और वो वहां चली गयी थी।
विपिन चूंकि एक गाँव से आया था और दसवीं तक पढाई हिंदी मीडियम में ही की थी तो उसको अंग्रेजी बोलने में थोड़ी हिचकिचाहट होती थी। हालाँकि समझने या लिखने में उसे कोई दिक्कत नहीं थी। शुरू में मेडिकल कॉलेज में रैगिंग भी काफी हुई। जब भी कोई सीनियर उससे अंग्रेजी में कुछ पूछता तो वो बीच बीच में अटक जाता था। कुछ सीनियर इसीलिए उसका मजाक भी उडा देते थे। उसके क्लास के विद्यार्थी भी ज्यादातर फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाले थे और उसको मन ही मन लगता था कि वो भी शायद अंदर ही अंदर उसका मजाक उडा रहे हैं। अध्यापक जब पढ़ाते थे तो समझ तो सब अच्छी तरह आ जाता था पर जब वो कोई प्रश्न पूछते थे तो विपिन घबरा कर अच्छी तरह उत्तर नहीं दे पता था। इसी कारण वो थोड़ा दुखी रहने लगा।
वो अनु से भी बीच बीच में बात कर लेता था और ये परेशानी भी बता देता था। अनु उससे कहती थी कि ये तो बस छे महीने या साल की बात है फिर वो भी फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने लगेगा। ये परेशानी तो शुरू में सभी हिंदी मीडियम वाले बच्चों को आती है, उसे भी आ रही है पर वो ज्यादा ध्यान नहीं देती। एक दिन वो कुर्सी पर बैठा पढ़ रहा था। उसके दिमाग में इसी बात को लेकर थोड़ी उधेड़बुन भी चल रही थी। उसके पहले साल की परीक्षा भी चार दिन पहले ही ख़तम हुई थी। उसने थोड़ी देर के लिए आँखें बंद कीं और उसे नींद आ गयी। सपना शुरू हो चुका था।
वो अपनी क्लास में बैठा था। तभी उसकी क्लास के कुछ लड़के जो की अच्छी अंग्रेजी बोलते थे क्लास में आये और उस पर अंग्रेजी में फब्तियन कसने लगे। वो कह रहे थे कि पता नहीं कहाँ कहाँ से अनपढ़ गंवार लोग मेडिकल कॉलेज में आ जाते हैं जिन्हे अंग्रेजी आती तक नहीं। इनके लिए तो मेडिकल की किताबें भी हिंदी में होनी चाहियें। ये कहते हुए वो विपिन की तरफ देख कर हंस भी रहे थे। तभी क्लास में प्रिंसिपल आ गए। सब लोग अपनी सीटों पर बैठ गए। प्रिंसिपल स्टेज पर खड़े हो गए और उन्होंने विपिन का नाम पुकारा। वो पहले से ही थोड़ा घबराया हुआ था, अपना नाम सुन कर एक दम हड़बड़ा गया और खड़ा हो गया। घबराहट में वो यस सर भी अच्छी तरह नहीं बोल पाया था। प्रिंसिपल ने उसे स्टेज पर आने को कहा। वो स्टेज पर चला गया। वो लड़के जो उसको चिढ़ा रहे थे अब मुस्कुराने लगे कि शायद विपिन को अब डांट पड़ने वाली है। विपिन को भी लग रहा था कि आज उसकी बेइज्जती होने का ही दिन है। प्रिंसिपल उस की कुछ कहने ही वाले थे कि उसकी नींद खुल गयी।
वो सोचने लगा कि कल का दिन तो बहुत ही बुरा बीतने वाला है पर वो अब हर चीज के लिया तैयार था। अगले दिन सब कुछ वैसा ही हुआ जैसे कि सपने में हुआ था। स्टेज पर वो प्रिंसिपल की डांट का इंतजार ही कर रहा था की वो बोले '' विपन, आई एम प्राउड ऑफ़ यू ''| विपिन को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है। तभी प्रिंसिपल ने सारी क्लास को बताया कि ये लड़का जो कि एक छोटे से गांव से आया है इसने फर्स्ट ईयर में टॉप किया है।सारी क्लास तालियां बजा रही थी। वो लड़के जो उसे चिढ़ा रहे थे उनकी आँखों में भी विपिन के लिए इज्जत झलक रही थी। प्रिंसिपल के जाने के बाद पूरी क्लास उसे मुबारकबाद दे रही थी। उसमें वो लड़के भी थे। विपिन भी बड़े आराम से उनका जवाब दे रहा था। शायद उसमें अब थोड़ा कॉन्फिडेंस आ गया था। शाम को उसने अनु को फ़ोन किया तो वो बहुत खुश थी और कहने लगी, मुझे तो पहले ही पता था की मेरा विपिन कोई न कोई धमाल तो जरूर करेगा। उसने अपना रिजल्ट भी उसे बताया और कहने लगी मार्क्स तो हमारे भी अच्छे हैं पर टापर तो आप ही हैं | दोनों हंसने लगे।
हॉस्टल में आने पर सभी उससे पार्टी मांगने लगे। रात को पार्टी का इंतजाम हुआ। उस के सीनियर भी आये और उसे बधाई दी। एक रूम से म्यूजिक सिस्टम आ गया। खाने पीने का सामान भी आ गया। सभी लोग पार्टी एन्जॉय कर रहे थे। एक दो दोस्त कहने लगे यार विपिन आज तो दारू बनती है। विपिन ने उन्हें साफ़ मन कर दिया। एक लड़का अपने रूम से बोतल ले आया। विपिन उसको मना ना कर सका। रात भर पार्टी चलती रही। विपिन के एक खास दोस्त ने जाम विपिन के होंठों पर रख कर कहा यार आज तो एक पैग बनता है। विपिन बहुत मना करता रहा पर उन्होंने जबरदस्ती एक पैग पिला दिया।
अगले छह महीने में उसने अपनी स्पोकन इंग्लिश भी काफी इम्प्रूव कर ली। अब वो अंग्रेजी के डिबेट्स में भी हिस्सा लेने लग गया था। अब उसके दोस्त भी काफी बन गए थे और वो पार्टिओं में भी जाने लग गया था। कभी कभार एक दो पेग भी ले लेता था। उसने जब भी अनु को ये बात बताई तो वो उसे शराब पीने से मना करती थी और गुस्सा भी करती थी।
to be continued