आधा - अधूरा सपना ; भाग २
आधा - अधूरा सपना ; भाग २
विपिन के घर में चार लोग थे। माता पिता के इलावा एक छोटी बहन थी मधु जो उससे डेढ़ साल छोटी थी। वो दोनों आपस में बहुत लड़ते थे पर उनमें प्यार भी बहुत था। आज शनिवार था तो स्कूल से आने का बाद विपिन अनिल के साथ क्रिकेट खेलने चला गया। अगले दिन छुट्टी थी इसलिए स्कूल का काम कल हो सकता था। क्रिकेट खेलने के बाद वो अनिल के घर चला गया। वहां अनिल की माँ ने उन्हें शाम का खाना भी खिला दिया। जब वो घर आया और माँ ने खाना पूछा तो उसने कहा की वो अनिल के घर खा कर आया है। क्योंकि वो काफी थक गया था इसलिए लेटते ही उसे नींद आ गयी। थोड़ी देर बाद उसकी पुतलियां घूमने लगीं। वो फिर से सपना देख रहा था। वो घायल अवस्था में एक जंगल में पड़ा हुआ है। वो उठने की कोशिश करता है पर घायल होने के कारन उठ नहीं पा रहा। मदद के लिए वो किसी को पुकारना चाहता है पर गले से आवाज नहीं निकल रही। उसकी आँखें भी पूरी तरह से नहीं खुल रही हैं। तभी उसे किसी जानवर के गुर्राने की आवाज सुनाई दी।उसे आधी खुली आँखों से अपने करीब १०० मीटर दूरी पर एक शेर की धुंधली सी आकृति दिखाई दी। डर के मारे वो बेहोश हो गया। जब उसे होश आया और उसने आंखें खोलीं तो शेर बिलकुल करीब आ चूका था। वो बुरी तरह डर गया। वो न तो कुछ बोल पा रहा था और न उठ कर भाग सकता था। उसे लगा अब बचने का कोई उपाय नहीं है। शेर विपिन के ऊपर झपटने की वाला था कि अचानक से उसकी नींद खुल गयी। वो पहले की तरह पसीने से भीगा हुआ था। उसे पता था की कल क्या होने वाला है। सुबह के तीन बज गए थे पर अब उसे नींद नहीं आने वाली थी।
माँ जब सुबह की चाय लेकर आई तो उसने पीने से मन कर दिया। तभी उसकी बहन मधु आई और उसे जगाने लगी पर वो सुन कर भी अनसुना कर रहा था। बहन ने बताया आज पापा हम सब को बाहर घूमने ले कर जाने वाले हैं पर उसे अब किसी भी बात में कोई दिलचस्पी नहीं थी। वो तो बस अपने सपने के बारे में ही सोच रहा था और उसे लग रहा था की ये सपना भी पहले सपने की तरह ही सच होगा। उसे बाहर घूमने का वैसे तो काफी शौक था पर आज हालात कुछ और ही थे। तभी उसके पापा उसके कमरे में आये और डांट कर कहा कि तैयार हो जाओ नहीं तो लेट हो जायेंगे। विपिन बेमन से उठा और नाश्ता करके तैयार हो गया। उसने पापा से पूछा कि कहाँ जाना है पर वो बोले कि सरप्राइज है। उसने भी दोबारा नहीं पूछा क्योंकि उसका मन तो अभी भी सपने में ही घूम रहा था। वो सब के साथ गाडी में बैठ गया।
थोड़ी देर बाद गाडी एक जंगल सफारी के बाहर रुकी। जंगल सफारी का बोर्ड देखकर उसकी दिल की धड़कनें बढ़ गयीं। उसे पता था की जो सपना उसने देखा था वो सब कुछ होने ही वाला है पर वो किसी को कुछ बताना नहीं चाहता था। उसे लगता था के लोग मेरी हसीं उड़ाएंगे। थोड़ी देर बाद पापा टिकटें ले कर आ गए और वो गाडी में बैठने लगी। आठ सीट थीं और पांच लोग पहले से ही बैठे थे। पापा ने कहा विपन तुम अगली गाडी में आ जाना जो इस गाडी के पीछे ही आने वाली है। विपिन ना चाहते हुए भी दूसरी गाडी में चढ़ गया। गाडी चल पड़ी। विपिन अपने ही ख्यालों में गुम था और इधर उधर कम ही देख रहा था। बाकी लोग जानवरों को देख कर काफी शोर मचा रहे थे। तभी एक आदमी ने गार्ड से पूछा क्या यहाँ शेर भी मिलते हैं। गार्ड बोला शेर अंदर घने जंगल में तो हैं पर बाहर की तरफ कभी कभार ही दिखते हैं। शेर का नाम सुन कर विपिन की घबराहट और बढ़ गयी और उसके रोंगटे खड़े हो गए। तभी हिरणों के एक झुंड को देख कर ड्राइवर ने गाडी साइड पर लगा ली। लोग गाडी में से उतर कर फोटो लेने लगे। विपिन का भी गाडी में मन नहीं लग रहा था और वो भी गाडी में से उतर कर दूसरी तरफ सड़क किनारे खड़ा हो गया। उसने देखा नीचे एक बड़ी गहरी खाई थी। वो वापिस गाडी की तरफ मुड़ने ही वाला था की अचानक उसका पांव फिसल गया। वो लुढ़कता हुआ खाई में गिर गया। उस का सिर पेड़ से टकरा गया था इसलिए चीख भी नहीं पाया। बस आधी खुली आँखों से गाडी को जाते हुए ही देख पाया। उस के बाद सपने वाले सारे घटनाक्रम वैसे ही होते रहे।
शेर उस पर झपटने ही वाला था कि उसने एक गोली की आवाज सुनी। जंगल में एक रेंजर ने उसे देख लिया था और शेर की तरफ गोली चला दी थी। गोली की आवाज सुनकर शेर वहां से भाग गया। रेंजर उसे हस्पताल ले आया और उस की मरहम पट्टी की। विपिन को ज्यादा गंभीर चोट नहीं आई थी। उसने रेंजर से फ़ोन लेकर पापा को फ़ोन किया। सभी उसके पास पहुँच गए। माँ और बहन रो रहे थे और पापा की भी आँख भर आई थी। आते ही माँ ने उसे गले से लगा लिया। फिर सारे गाडी में बैठ कर घर आ गए। रात को विपिन सोने से भी डर रहा था। पर अभी भी उसकी हिम्मत नहीं पड़ रही थी कि सपने वाली बात किसी को बताये।
to be continued
