1 साल 11 महीने 13 दिन का सफर
1 साल 11 महीने 13 दिन का सफर
शायद हमने सब कुछ सही करने की कोशिश की थी
और शायद हम कुछ नहीं कर पाये थे
हम सब तो हंसकर वहाँ से आए थे
यकीनन कुछ चेहरों की हंसी झूठी थी
हमारे बीच की तो यारी ही रुठी थी
किसी महान इंसान ने कहा है... कुत्ते पालना,
बिल्ली पालना मगर गलतफ़हमी मत पालना
उस इंसान की बातें अब समझ आती है
अक्सर जैसा दिखती है वैसा होता नहीं
हर चेहरे के पीछे एक चेहरा होता है
बहुत से राज़ छुपाए हुए बहुत से ख़्याल छुपाए हुए
हमारे चेहरे के पीछे भी है और उनके भी था
खैर गुज़रा वक्त है भूल जाना ही बेहतर है
मगर जिंदगी के कुछ साल...उसमें कुछ लोग
जो हर वक़्त हमारे साथ थे
अचानक से बदल गए अज़ीब लगता है ना
वक़्त बेवक्त याद भी आ ही जाती है
कभी साथ बिताए अच्छे पल
कभी लड़ झगड़ कर एक दूसरे से गुस्सा होना
सब याद आता है
Contacts में save कुछ numbers
जो ना तो कभी dial ही किए जाते हैं
ना हम उन्हें delete ही कर पाते हैं
कुछ यादें जिन्हें भूलने से ज्यादा दर्द याद रखने में हैं
मगर पता नहीं क्यों उन यादों को
भूलने में भी अजीब सा डर है
उनसे बात करने की बेचैनी
और फिर से hurt होने का डर
ना उन्हें याद रखने देती है
ना भूलने ही देती है
शायद कुछ रिश्तों में नफ़रत प्यार से बढ़कर होता है
और वो रिश्ते हमारे पास हैं
समझ ही नहीं आता कि सहेज़ कर रखें
या दिल के किसी कोने में दफ़न कर दें
पता ही नहीं चलता... ये यादें लिए सिर्फ हम घूम रहे हैं
या उनके जिंदगी में भी इन यादों के कुछ कतरे बचे हैं।