Jyoti Verma
Abstract
तंग दायरों में न बांधो ज़िन्दगी को
ये ज़िन्दगी तो खुले आसमानों का नाम है !
इस स्वतंत्र प...
दुनिया मुट्ठी...
इल्ज़ाम
मैं
घर
मुलाकात
जीवन की दौड़ ...
तजुर्बा
एक प्रश्न स्व...
Masti
रात को आसमान में फिर चमकेंगे चांद से चमकीले मेरे ख्यालात रात को आसमान में फिर चमकेंगे चांद से चमकीले मेरे ख्यालात
चिड़िया मरती नित-नित जहॉं, सहमे खग के हाल से।। चिड़िया मरती नित-नित जहॉं, सहमे खग के हाल से।।
अब हमें लगता है कई वर्षों से मन के घोड़े थक गए हों संकल्प भी विफल हो गया स्थाई बैठकर। अब हमें लगता है कई वर्षों से मन के घोड़े थक गए हों संकल्प भी विफल हो गया स्था...
व्यस्तता नहीं होगी फिर कोई, सुकून से दोनों फिर संग घूमेंगे। व्यस्तता नहीं होगी फिर कोई, सुकून से दोनों फिर संग घूमेंगे।
अरि पर हम तलवार उठाएँ गे अब आँखों में अश्रु नहीं अब तो चिंगारी ही दहकती है।। अरि पर हम तलवार उठाएँ गे अब आँखों में अश्रु नहीं अब तो चिंगारी ही दहकती...
किसी भी सीढ़ी को कभी कोई फर्क नहीं पड़ता किसी भी सीढ़ी को कभी कोई फर्क नहीं पड़ता
ज्ञान का बन भण्डार धरा पर विश्वगुरू कहलाया। गर्वित है हम हिंद के वासी मान जगत में ज्ञान का बन भण्डार धरा पर विश्वगुरू कहलाया। गर्वित है हम हिंद के वासी ...
दूजे को गलत बताते पर सब तुझे ही पूजते जाते हैं दूजे को गलत बताते पर सब तुझे ही पूजते जाते हैं
कुछ भी कहने से पहले अब सारे पहलुओं पर गौर ज़रूर करेगा। कुछ भी कहने से पहले अब सारे पहलुओं पर गौर ज़रूर करेगा।
याद रखूंगा उन्हें जरूर जिन्होंने मुझे जीते जी खुश रहने नही दिया......! याद रखूंगा उन्हें जरूर जिन्होंने मुझे जीते जी खुश रहने नही दिया......!
उन्हें शिकायत है हमसे, हमें रिश्ता निभाना नहीं आता। उन्हें शिकायत है हमसे, हमें रिश्ता निभाना नहीं आता।
हम बयान करते हैं ज़िंदगी का मक़सद, ना हो तो लिख देते हैं कुछ पेड़, पौधे, बादलों के ऊपर हम बयान करते हैं ज़िंदगी का मक़सद, ना हो तो लिख देते हैं कुछ पेड़, पौधे, बादल...
कालचक्र का खेल यहाँ कौन समझ पाया, जिसने सुलझाना चाहा खुद को है उलझाया। कालचक्र का खेल यहाँ कौन समझ पाया, जिसने सुलझाना चाहा खुद को है उलझाया।
बस यूँ ही हर शेर गढ़ता जा कुछ इस तरह, हो जाय खुशनुमा ये जहाँ। बस यूँ ही हर शेर गढ़ता जा कुछ इस तरह, हो जाय खुशनुमा ये जहाँ।
अपने पराए होते रहे पराये अपने होते रहे अपने पराए होते रहे पराये अपने होते रहे
कभी किताबी बातों से कभी खुद से, कभी दूसरों के गुजरे अनुभवों से, कभी किताबी बातों से कभी खुद से, कभी दूसरों के गुजरे अनुभवों से,
आखिर अपना भारत जुगाड़ का विश्वगुरू जो है। आखिर अपना भारत जुगाड़ का विश्वगुरू जो है।
हूँ मैं आज नतमस्तक उनके श्री चरणों में है। जो खुशियों की दस्तक देती आर्शीवादों मे हूँ मैं आज नतमस्तक उनके श्री चरणों में है। जो खुशियों की दस्तक देती ...
दिन सफ़ेद है रात कला है पर फिर भी रात मतवाला है दिन सफ़ेद है रात कला है पर फिर भी रात मतवाला है
रूठ गई क्यों बहारें वक्त से फ़िज़ा रख जला कर दिलों में हुस्न का नशा। रूठ गई क्यों बहारें वक्त से फ़िज़ा रख जला कर दिलों में हुस्न का नशा।