STORYMIRROR

Triveni Mishra

Inspirational

4  

Triveni Mishra

Inspirational

ज़िदंगी की जंगजब कभी मस्तिष्क

ज़िदंगी की जंगजब कभी मस्तिष्क

1 min
161

ज़िदंगी की जंग


जब कभी मस्तिष्क में

छिड़ता है भीषण संग्राम

तब धैर्य,संयम,साहस

रखना मनुष्य का है काम।


ना विचलित हो ना

विचारों को करें जाम

बाहर का कार्यक्षेत्र हो

चाहे हो आपका धाम।


समर ये हट के होता है

जहाँ तोप-तलवार

ना होते हैं अस्त्र

ज़िदंगी की जंग होती है

यह बिल्कुल निःशस्त्र।


रण क्षेत्र बनता है दिमाग

जहाँ मिलता नहीं सुराग।


कठिन, कराल हृदय में

हिलोर लगाता है चारों याम

तब शालीनता,बुद्धिमता

को मन में रखें थाम।


जीवन के पथ में बिछे शूल

वक़्त होता है प्रतिकूल

तब समझदारी देख खायें

बनता है समय अनुकूल।


माना कि चुनौतियाँ

सामने विकट होती है

सफल होने के लिये

हौसले की जरूरत होती है।

करें ध्यान, योग व्यायाम

शांति रख बनते हैं काम।


जीतते हैं ज़िदंगी की जंग

बरसता है ख़ुशियों का रंग।


आशा का दीप जलाये

रखने पर बरसेगा सोम

मिटता है द्वंद प्रसन्न होते

हैं धरती व्योम।


जब कभी मस्तिष्क में

छिड़ जाता है भीषण संग्राम,

तब धैर्य, संयम, साहस

रखना मनुष्य का है काम।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational