यूँ ही ----
यूँ ही ----
हारो न कभी झूठ से
वो झूठ ही तो है
धारो ना कभी रूठ के
सदा मित्र ही तो है !
जो आपका है, मानता है
कभी छोड जाये ना
जो छोड जाये वो
सदा शत्रू ही तो है !
क्या बात है कि तुम
उन्हे याद आते हो
मतलब की बात होगी
सदा मतलबी तो हैं !
हस्ती तुम्हारी देखकर
सब पास आते अब
वरना ये खुशनसीब
सदा सरवरी तो है !
उनका इंतेजार जब
खत्म हो जाये
तब जान लेना तुम
वफ़ा मसखरी तो है !