युग चेतना
युग चेतना
युग चेतना की जगृति नियत सार्थक सशक्त स्वावलंबी समाज निर्माण।।
ना हलचल ना कोलाहल अपनी गति चाल खास नित्य निरंतर प्रभा प्रभात।।
ध्यान धैर्य दृष्टि दायित्व बोध ज्ञान विज्ञान तीज त्योहार संस्कृति संस्कार
अविरल आधार।।
समर्पित संकल्पित शिल्पी निर्माण राष्ट्र समाज निरपेक्ष ईश्वर नियति न्याय व्यवहार।।
भौतिकता चकाचौंध भागम भाग जीवन में जीवन मूल्यों का ह्रास।।
भौतिकता भागम भाग चकाचौंध मानवता भाग्य सत्कार व्यवहार।।
बौद्धिक सात्विक दैहिक पुरुद्धार मर्म मर्यादा चिंतन सोच कर्तव्य कर्म क्रांति
सम्यक संस्कार।।
मर्मज्ञ साहित्य मार्ग उद्देश्य ओज तेज शक्ति विश्वास वैभव का राष्ट्र निर्माण।।
सबृद्ध विरासत आधार यज्ञ अनुष्ठान नित्य निरंतर आहुति सक्षम राष्ट्र समाज वर्तमान।।
