यंत्र और श्रम
यंत्र और श्रम
विश्व का यह,पेचीदा प्रश्न
यंत्र बड़ा या श्रम।
इतिहास देता, उत्तर शान से
यंत्र बना, सदैव सश्रम।
नहीं कोई, छोटा ना बड़ा
समान मशीन व श्रमिक का दर्जा।
दोनों का लक्ष्य, है प्रगति
दासी मशीन, स्वामी परिश्रम।
जैसे आविष्कार है,
आवश्यकता की जननी
यंत्र भी है, उसी की भगिनी।
मानवता का श्रृंगार है
उन्नति का सूत्रधार
श्रम भी है, उसका उपहार।
कारखाना, अट्टालिका, खदान
यंत्र व श्रम का,जीवित प्रमाण।
कलपूर्जे और खेत -खलिहान
विकसित भारत की पहचान।
यंत्र व श्रम, नहीं विरोधी
पूर्णता है दोनों के मिलन में।
श्रम है जनक यंत्र का
जीवन पूर्ण होता इस में।
धड़कन और शरीर बिना
जैसे जीवन अधूरा।
उन्नत यंत्र व कठोर परिश्रम
करते देश का,विकास पूरा।
तो आओ, श्रम के लहू से
सींचें जरूरी, यंत्र की खेती
गुलशन बन जावे इस
देश की फसल और मिट्टी।
