यह दिल की बात है दिल चाहता है
यह दिल की बात है दिल चाहता है


दिल चाहता है राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव शांति से निपट जाए।
22 तारीख को रामलला का आगमन शांति से हो जाए।
कोई दंगा कोई फसाद कोई खून खराबा ना हो जाए।
वैसे तो राम जी सब अच्छा ही करेंगे क्योंकि जय श्री राम का सब जगह बोल बाला है।
सबके दिलों में राम जगा कर
यह महा महोत्सव पार लगा ही देंगे।
500 साल बाद अपने घर मंदिर में विराजमान हो ही जाएंगे यह दिल चाहता है सब शांति से हो जाए।
कोई विरोधी विरोध ना कर पाए।
बहुत साल पहले 6 दिसंबर को हुआ वैसा फिर ना हो पाए।
कार सेवकों के हिंसा न हो जाए
क्योंकि दिल बेचारा दुश्चिंताओं का मारा।
जरा जरा सी बात पर बेचैन हो जाता।
जब तक कार्य पूरा नहीं होता है बेचैन होता ही रह जाता है
कभी परीक्षा का रिजल्ट ।
कभी खून के जांच का रिजल्ट।
क
भी नौकरी के इंटरव्यू का रिजल्ट।
कभी कोई समय से ना आया हो ।
कभी कोई समाचार ना आया।
है दुश्चिंताओं में भरा यह दिल।
इतना बेचैन हो उठता है कि ,
जब तक सब सही नहीं हो।
शांत होने का नाम नहीं लेता।
फिर एक दिन मैंने मेरे दिल को समझाया
क्यों रे जीवड़ा तू इतना बेचैन रहता ।
थोड़ा भगवान पर भरोसा कर,
जो होगा है अच्छा होगा।
आने वाली आफत से क्या घबराना, हिम्मत से काम ले कुछ भी बुरा नहीं होगा।
है तेरा ईश्वर तेरे साथ फिर यह घबराना कैसा।
अगर एक जगह कुछ तकलीफ है तो,
दूसरी जगह उसका हल भी है।
इसलिए ए बेचैन दिल तू घबराना छोड़ दे ।
और मैंने घबराना छोड़ दिया।
अब तो जो परिस्थिति होगी उससे निकलेंगे।
कभी ना हम घबराएंगे ।
हर परिस्थिति से निकल ही जाएंगे।