ये सोच क्या है ?
ये सोच क्या है ?
व्यक्ति एक है पर सोच अनेक है
हर सोच के अनेक पहलू है।
किसी का भला हो सोचूँ
किसी का बुरा हो सोचूँ।
रिश्ते तो हर हाल मे बनाने है
बस बनाने के तरीके अपनाने है।
सोच ही रिश्ते बनाने मे कारगर है
सोच ही रिश्ते बिगाड़ने मे कारगर है।
कायम हो राज्य उनकी सोच का
ऐसा मकसद है उनके प्रचार का।
यहाँ थोपने में लगे हैं अपनी सोच
कारगर साबित न हुई थोपी सोच।
लोग बोलते कुछ है सोचते है कुछ
सफल ना हो पाये ऐसे ही लोग कुछ।
सोच बदलने पर नजरिया बदलता है
और समझ में आ जाये तो जिन्दगी।
