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Surajbhan Singh

Abstract

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Surajbhan Singh

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ये मेरे रास्ते कहीं दूर ले जा मुझे

ये मेरे रास्ते कहीं दूर ले जा मुझे

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ये मेरे रास्ते कहीं दूर ले जा मुझे,
ये मेरे रास्ते कहीं दूर ले जा मुझे,
मेरे सपनों की डोलियों के साथ ले जा मुझे,
बुरे ख़्वाबों से दूर ले जा मुझे।

मेरी तन्हाई कहीं तोड़ दे न मुझे,
इक फरिस्ते को ले आ पास मेरे,
उस फरिस्ते से मैं अपना गम बाँट दूं,
और बदले में कुछ पल की ख़ुशी ले लूँ।

ये ग़म तो होता है पल भर का,
पर ये पल भर लगे सदियों जैसा,
ग़म के आसूं में तलाशूं मैं ख़ुशी के आसूं,
पर नसीब मेरा कह जाते,
ये हैं मेरे ग़म के आसूं।

हर ग़म का सबेरा होता है,
हर ग़म का सबेरा होता है,
ए मेरे ग़म का सूरज तू कब जायेगा?
ख़ुशी का सबेरा कब लाएगा?

ये मेरे रास्ते कहीं दूर ले जा मुझे,
ये मेरे रास्ते कहीं दूर ले जा मुझे।

 


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