यूँ न रुठुं मैं रब से
यूँ न रुठुं मैं रब से
यूँ न रुठुं मैं रब से,
मेरा इस हाल की वजह से।
मेरे हाथों में ही था मेरा यह जीवन,
पर जवानी की आढ़ लुटा दिया।
फिरौती करूं किस के पास?
जो मैंने खोया उसका तो हूँ मैं ही ज़िम्मेदार।
अब जब दुनिया से वाकिफ़ हो रहा हूँ,
आती हैं लाज मेरी मूर्खता के लिए।
कितने सपने सोचें थे मेरे माँ-बाप ने,
पर धोखा किया उनके के साथ।
चार पहिये पे जब देखूं अपने मित्र को,
काश, मैं अपने को संभालता, तो आज मैं न रोता।
अब करम क्या है पता चला,
एक दिन तो आता हैं, जब सब कुछ लुट जाता है।
रब से एक ही दुआ मांगू मैं,
मेरे इस बुरे पल मैं एक उम्मीद की किरण दे।
मेरे लिए न सही,
मेरी अपनी छोटी सी बच्ची के लिए।
अँधा था मैं आज तक,
माफ़ कर दे रब मुझे,
कोई तो उजाला दिखा दे मुझे।