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Sonia Chetan kanoongo

Abstract

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Sonia Chetan kanoongo

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ये लम्हे

ये लम्हे

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हाँ पता है मुझे ये लम्हे ठहरने वाले नहीं,

बेख़ौफ़ है ये , किसी से डरने वाले नहीं,

बेवक़्त बारिश भी ढल जाएगी,

ये मौसम भी बदल जाएँगे।


न बुरा वक़्त अंधेरा बनकर ठहर पायेगा,

ना खुशियों का दिन अपना डेरा जमा पायेगा,

सोचती हूँ जो पल है उन्हें खुल कर जीकर तो देखूँ , 

क्यों इंतज़ार करूँ किसी का, खुद को कहना तो सीखूँ।


क्यों चुराने दूँ मेरी हँसी किसी को,

देकर दुसरो को हँसी हँसाना तो सीखूं,

जिंदगी मेरी है तो ,कायदे भी मेरे होंगे,

लब्ज़ मेरे है तो अन्दाज़ भी मेरे होंगे। 


क्या तुमने किया औऱ क्या मैंने किया,

क्या तुमने सुना औऱ क्या मैंने सुना,

इन बातों का क्या फायदा,

जो अल्फ़ाज़ दिल को सुकून दे,

तुम्हें बताना तो सीखूँ।


आज नहीं, कल, कल नहीं परसो, 

जो है आज है, कल कभी नहीं होगा,

खुद को बताना तो सीखूँ

ये दुनिया क्या कहेगी, ये दुनिया क्या कहेगी।


अरे काम है उनका कहना,

ये तो वक़्त बेवक़्त कहती रहेगी।

मेरा दिल क्या है कहता,

खुद को समझाना तो सीखूँ।


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