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SHIVAM CHANDER

Inspirational

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SHIVAM CHANDER

Inspirational

ये कलियुग कलियुग ना होता

ये कलियुग कलियुग ना होता

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ये कलियुग कलियुग ना होता

ये कलियुग कलियुग ना होता

ऐ मेरे दोस्त

ये कलियुग कलियुग ना होता


जब अपने स्वार्थ की पूति हेतु

दुसरे का नुकसान ना किया होता 

आपनी खूशी के लिए दुसरे किसी

का दिल ना दुखाया होता

यह कलियुग कलियुग ना होता


जब सब इन्सानो को समान समझा होता

आमीरी गरीबी से ऊपर उठकर 

सम्मान की दिृषटी से देखा होता 

 जब जात पात का जहर ना घोला होता

तब समाज मे कोई छोटा या बडा ना होता

यह कलियुग कलियुग ना होता


जब हर लडकी को आपनी बहन के जैसा 

दर्जा दिया होता किसी लड़की को 

 जब आपनी इज्जत का खतरा ना होता

 जब शादी के बाद भी लडकियाँ खुद को

 आज़ाद महसूस कर पाती 

 जब लड़के और लड़कियो मे भेदभाव 

मिटाने वाला खत्म हो जाते है 

सच मानो यह कलियुग कलियुग ना होता


जब हमने किसी की निंदा चुगली ना की होती

जब हम घृणा भाव को हम आपने को दुर रख पाते

किसी की नकामियाँ को छोड़ उसकी खुबियाँ का

वयाखान किया होता 

 तब यह कलियुग कलियुग ना होता


जब एक लड़की ने प्यार की खातिर छोडा ना होता

आपना घर बाप की इज्जत को यो सरे बाजार 

निलाम ना किया होता जब लड़को ने प्यार के

जोश मे आपनी जिन्दगी नशे मे ना खराब की होती

दो चार साल की प्यार की खातिर छोडा ना होता

माँ बाप को विवाह के बाद जब माँ बाप को 

 वृध आक्षम का सहारा ना लेना पड़ता

हर लड़की को बहु नही बेटी जैसा समझा होता

यह कलियुग कलियुग ना होता


जब एक ही घर मे जमीन का ना विवाद होता

घर जमीन के लिए एक भाई भाई मे जान का

खतरा ना होता


जब माये बेटे को बोझ ना लगती 

जिस तरह पालपोस से बडा किया

एक माँ बाप की देखभाल की होती

ये कलियुग कलियुग ना होता


जब आज के पढे़ लिखे बच्चो ने शिक्षा 

का असल उदेश को समझा होता 

और अपने आप को बदला होता

समाज के प्रति अपनी जिमेवारी को समझा होता

किताबों की एक एक बात को अपनी जिन्दगी

में उतारा होता तो यह कलियुग कलियुग ना होता

कब का सतियुग हो जाता

यह कलियुग कलियुग ना होता।


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