ये कैसा समाज
ये कैसा समाज
ये कैसा रिवाज़ है समाज का,
ख़ुद को पहनेंगे branded
और बात करेंगे support local.
कथनी व करनी में अंतर
इसीलिए है क्योंकि
यहाँ अपने फ़ायदे के लिए
लोग बदलते हैं अपना vocal.
ये कैसा नेग है समाज का,
ख़ुद को कहेंगे well-educated
और शिक्षा से महरूम रहे कोई बच्चा।
अमीरी व ग़रीबी में खाईं इसीलिए है क्योंकि
यहाँ अमीर इंसान है फ़रेबी ग़रीब है सच्चा।
ये कैसा लोक व्यवहार है समाज का,
ख़ुद को कहेंगे intellectual हैं हम
और पूजा रसोई में पाबंदी मासिक धर्म से।
बेटा व बेटी में अंतर इसीलिए है क्योंकि
यहाँ हम आज तक उबर ही नहीं पाए
पुरातन घटिया सोच से।