Jogendra Bhati

Abstract

4.5  

Jogendra Bhati

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ये जिंदगी है

ये जिंदगी है

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हसरतों को टालना,

अपनों को संभालना

रिश्तों पे सब वारना

'ये जिंदगी है।


कर्म पथ पे चलना,

गिरकर भी संभलना

इरादों से संवरना

ये जिंदगी है।


नाम अपना करना,

काम ढंग का करना

साथ सबके चलना

ये जिंदगी है।


गम को हटाना,

खुशी को बढ़ाना

सबसे प्यार जताना

ये जिंदगी है।


सपनों से लड़ाई,

खुद पे जग हंसाई

इनसे जो आंख में

रुलाई ये जिंदगी है।


रास्तों के मोड़ में,

साथ या बिछोड़ में

उठापटक की होड़ में

ये जिंदगी है।


रहमत की पनाह में,

मज़बूरी की आह में

संभल अपनी राह में

'ये जिंदगी है।


दर्द को तू झेल जा,

मुश्किलों से खेल जा

आसमां से मेल खा

ये जिंदगी है।


पिता के पसीने से,

मां के ख्वाब सीने से

सीखा है तू जो जीने से

ये जिंदगी है।


वक्त को दिखाए जा,

साज़ अपने गाए जा

खुद को तू सिखाए जा

ये जिंदगी है।


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