यादगार लम्हें
यादगार लम्हें
एक छोटी सी बच्ची थी,
डरी सहमी सी रहती थी,
चुपचाप किताबें पढ़ती थी,
पड़ोसी भैया ने किताबों का लालच देकर
ग़लत जगह पर छुआ उसे,
डर गई, भागती रहती थी !
बड़ी हुई, माइग्रेन पीड़ा सहती थी,
चिकित्सा के नाम पर फिर
गलत जगह पर छुआ उसे,
वो फिर से रोती रहती थी!
एक दिन, पर, भड़क गई थी,
माँ से अपने बोली थी,
जो कुछ अब तक सहती थी,
नहीं करवाना इलाज, कहकर,
रोते रोते सो गई थी.......
फिर वो एक शिक्षिका बनी,
विद्यालय में बच्चों से कहती थी,
कोई गलत जगह पर छूए तो
चुप नहीं रहना, वो कहती थी,
बच्चियों को कोहनी से मारना,
लातों, दांतों, जूतों से मारना,
नाखूनों से नोचना सिखाती थी।
कराटे सीखने को कहती थी
जो उसने कभी सहा था,
बच्चों को सहने नहीं देना चाहती थी
अब वो नहीं किसी से डरती थी।
