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Shubham Kumar

Romance

3  

Shubham Kumar

Romance

~ यादें ~

~ यादें ~

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जब जब यादों के अंधेरों में

हमारे साथ को तड़पोगे


देख लेना उस चाँद को

वो वहीं था, रहेगा वहीं

 

क्या फर्क पड़ता है,

तू कहीं मैं कहीं

जब जब यादों के अंधेरों में


इस पल में बिखरने से पहले,

कुछ पल संवर जाने दो


बंद मुट्ठी में सिमटी,

चुपके से उन यादों को

हवा बन उँगलियों से

फिसल जाने दो।


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