।। हे शंखनाद ।।
।। हे शंखनाद ।।
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जैहूँ मिले हैं मुश्किल - ' मोती '
कबहूँ मिले तैहूँ - ' कंकड़ ' ।
ओह दुर्बल और लाचारों में
इक कल्पित माँ की
बिलखत-ए-अश्कों की धारों में।
तेहूँ कोई नहीं, जैहूँ सब कुछ
तस शंखनाद है - ' शंकर '।
ओह मिले है जैहूँ, जानत ' कंकड़ ' ।।
चाको मनु दृष्टि से, ' मोती मुश्किल माया ' ;
अहो नीलकंठ तें - अठु समाया ।
करहौं दूर दुविधा भक्तन की ' शंभू ' ;
है कंकड़ तौं या तौं मोती ?
मोहा ' मनो-मेघ ' है ' कलपत-रोती ' ;
है कंकड़ तौं या तौं मोती ?