यादें
यादें
उनके शहर में कदम आज ठहर सी गयी है
कुछ यादें आज फिर महक सी गयी है
रहते थे हम भी किसी की पलकों में कभी
आज वही नज़र कहीं खो सी गयी है
कभी होती थी वो तो होती थी रोशनी
रूठा है आज चांद और उसकी चांदनी
कैफे में बैठकर यूं ही तेरा मुस्कुराना
बोलते - बोलते फिर खुद ही शर्माना
बैठे- बैठे सपनों में मेरा अक्सर खो जाना
प्यार की थपकी देकर फिर मुझे जगाना
जहां बिताएं थे खुशी के सारे पल
तड़पकर रह जाता हूं आज वहीं हर पल
आया हूं तेरी यादों को दिल में छुपाए
आ जाओ तुम फिर एक बार नज़रों को झुकाए।।

