यादें
यादें


आज फिर बैठी हूँ तेरी यादों को समेटे हुए ,
दिल और दिमाग दोनों में अनबन लिए हुए ।
दिमाग में तो बस तेरा ख़ूबसूरत नाम है
और दिल में तू पूरी तरह से बदनाम है ।।
खैर ये अनबन कभी दूर न होगी
हम खुद ही है अपनी करनी के भोगी।
तब से तेरे और मेरे रास्ते मिलते नहीं
जब से तूने कभी चाहा नहीं
और मैंने तो उम्मीद ही छोड़ दी।
पर वक़्त भी अजीब चीज़ है ना
ये भागता जल्दी है और बदलता भी जल्दी है
और घूमता घूमता वही आकर रुक जाता है ।
तेरी कुछ यादें ज़हन में उमड़ी पड़ी है
ना कभी धुंधली होती है
ना कभी भूली जाती है।।
बस वक़्त में खोते खोते तेरी यादों में चले गये हम
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वक़्त का भी दोष कहाँ ,वक़्त भी बस बहाना है
तुझे हर पल हर लम्हा याद करने का।
वक़्त कैसे बीत गया अचानक से
सन्नाटा सा हो गया ना
ना तेरी समझ में आया
ना मेरी समझ में
ना तू हकीब निकला न रकीब।
पर जो भी था तू
तू था दिल के सबसे करीब।
ये यादें तो यूँही चलती जायेंगी।
ना इन्हें कोई चुरा सकता है ना मिटा
ये तो कभी ना जाने वाली यादें है,
जो मेरे दिल में बसी है
शायद तेरे दिल में भी बसी हो
शायद तू कभी आये और कहे
ये थी मेरी खुबसूरत यादें' ।
चल फिर बनाते है वहीँ खूबसूरत यादें' ।।