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Radhamohan Pujahari

Abstract Romance

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Radhamohan Pujahari

Abstract Romance

"याद आती हो तुम"

"याद आती हो तुम"

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धरती की इस हरियाली में

सूरज की धूप भरी प्याली में

याद आती हो तुम....


हँसते हुए फूलों की कली में

जन पथ की सुनसान गली में

याद आती हो तुम....


गुनगुनाते भँवरों की टोली में

दिल की हर भाषा की बोली में

याद आती हो तुम....


मस्त-मौला हवा पूछने लगी

वह है कौन ?

वह है कौन ?

कैसे कहूँ उसे कि

"तुम तुम ही हो"...

न जाने तुम बिन ये दिल भी 

आज क्यों है मौन ?


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