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Radhamohan Pujahari

Inspirational

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Radhamohan Pujahari

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श्रांत पथिक

श्रांत पथिक

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दिशाहीन पथ पर राह भटकनेवाला

श्रांत पथिक हूँ मैं

उजड़े हुए सपनों के साथ 

लड़खड़ाते कदमों पर चल दिया 


अनिश्चित जीवन की 

अंतिम इच्छा लिए हथेली पर

मानों किसी ने लोहे की जंजीर से

जकड़ कर रखा है

मेरे निस्तेज शरीर को


आगे बढ़ना मुश्किल है

फिर भी कोशिश जारी है

अंतर्मन की दीया बुझने से पहले ही

प्राप्त कर सकूँ उस अनंत परमात्मा को


जहाँ खुद को जलाकर मैं

मुक्ति का मार्ग दिखा सकूँ

मुझ जैसे राह भटकने वाले 

मेरे श्रांत पथिक भाइयों को।


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