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Dr.R.N.SHEELA KUMAR

Abstract

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Dr.R.N.SHEELA KUMAR

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व्यर्थ

व्यर्थ

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भूख मिटाने के बाद दिये गये खाना

समुद्र में बरसाती बारिश

अमीर आदमी को दियेग ये उपहार

दिन में जला हुए दिया

बिना प्यार हुए बंधन

मंदबुद्धि वाले किये व्यापार

बिना सीमा किये दोस्ती

धोकेबाजी के प्यार

व्यर्थ व्यर्थ व्यर्थ



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