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मिली साहा

Abstract

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मिली साहा

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वतन हमारा ऐसा है

वतन हमारा ऐसा है

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वतन हमारा ऐसा है जहांँ अनेकता में भी एकता है,

संतों की भूमि है यह यहांँ संस्कार दिलों में रहता है,

सर पे बांँध लेते कफ़न मातृभूमि को एक पुकार पर,

वतन के जर्रे जर्रे में बसी यहांँ देशभक्ति की गाथा है,


स्वर्णिम इतिहास यहांँ का संस्कृति इसकी महान है,

सम्पूर्ण विश्व में अतुल्य भारत की अलग पहचान है,

समानता का अधिकार है, नहीं होता यहांँ तिरस्कार,

ऐसा शक्तिशाली हमारे महान भारत का संविधान है,


अद्भुत आकर्षण से खनकती अनगिनत संस्कृतियांँ,

अलग-अलग पोशाक यहांँ अलग-अलग है बोलियांँ,

सम्मान,स्नेह,त्याग और आत्मीयता का रंग चंहुँओर,

माटी की सोंधी-सोंधी खुशबू यहांँ खींचे अपनी ओर,


प्रेम भाईचारे की खुशबू यहांँ हर रिश्ता अनमोल है,

रंग बिरंगे त्यौहार से सजा हर धर्म का यहांँ मोल है,

हर बंधन उत्सव है हर रिश्ता यहांँ संजोया जाता है,

रिश्तों का ऐसा समर्पण भाव यहीं पर देखा जाता है।


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