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Arvina Ghalot

Abstract

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Arvina Ghalot

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वसुधैव कुटुंबकम्

वसुधैव कुटुंबकम्

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मानों तो सारा संसार

बासुधैव कुटुंबकम् है

वर्ना तो बस रैन बसेरा है

हर एक का अलग अलग डेरा है

कहीं नदी तो कहीं पहाड़

उन पर बसा ये संसार

कहीं शंकराचार्य

ने किया कर किया पावन काम

भ्रमण कर कहा वसुधैव कुटुंबकम् है


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