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Neerja Sharma

Inspirational

4  

Neerja Sharma

Inspirational

वसुधैव कुटुंबकम

वसुधैव कुटुंबकम

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वसुधा हमारी 

कुटुम्ब हमारा 

पर अब सबको 

सब कुछ कहाँ प्यारा!


संयुक्त परिवार कहाँ हैं अब ?

एकल जीवन ,एकल परिवार

अपना घर तो जुड़ता नहीं अब

वसुधैव कुटुंबकम बात कहाँ! 


स्वार्थ इंसान पर हावी हुआ

तेरा मेरा बंटवारा सब हुआ 

परिवार जहाँ महोल्ला होता

घर दो कमरों में दो प्राणी रहा।


 पहले सी वो बाते कहाँ 

सब का सुख-दुख साँझा 

मिल बाँट सब खा लेते 

भूखा कोई न सोता था।


पराई वैसी के चक्कर ने 

सब कुछ अलग कर दिया 

वसुधा की तो बात नहीं 

अपना घर भी अपना न रहा।


जब तक सोच न बदलेगी 

स्वार्थ का न होगा त्याग

वसुधैव कुटुंबकम स्वप्न रहेगा

मानव मन भी अशांत रहेगा।



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