वसंत करूँ स्वागत तुम्हारा
वसंत करूँ स्वागत तुम्हारा
आया घर मेरे बसंत करूँ स्वागत तुम्हारा
झूम उठी अमिया की बगिया
महक उठी महुआ मीठी
पीली सरसों से धरा पीताम्बरी
नव पल्लव से सज्जित डाली
नूतन ऋतु है आया करूँ स्वागत तुम्हारा।
पर्व अनेकों लेकर आया
रिश्तों में घुली मिठास
रंग बिरंगे फूल खिल गए
दिशा हुई सतरंगी
कोयल सरगम गाये करूँ स्वागत तुम्हारा
रागरंग के झूले सज गये
मन बावरा बन घूमे
बैरभाव मन के सब भूले
खुशियों से मन झुमे
पीहू पपीहा गाये करूँ स्वागत तुम्हारा।
सूर्य देव की कृपा बनी
संक्रांति काल बन आया
प्रेम पपीहा बन कर घूमे
देव बसंत की माया
स्नेह के बेल खिले करूँ स्वागत तुम्हारा।
अक्षर पर्व बन आया बसंती
पंचम सूर में गाये
सरस्वती घरघर में बिराजी
मंगल ध्वनि है बाजे
वरदहस्त हम पायें करूँ स्वागत तुम्हारा।
