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चली।सुबह की बातें अब भी कानों में गूंज रही थी" क्या करती हो घर के लिए। चली।सुबह की बातें अब भी कानों में गूंज रही थी" क्या करती हो घर के लिए।
शरीर का मिलन तो हो गया पर मन का मिलन न हो सका।धीरे धीरे समय बीतता रहा शरीर का मिलन तो हो गया पर मन का मिलन न हो सका।धीरे धीरे समय बीतता रहा
अपने बचाव की कोशिश में वह किसी प्रकार टहनी पकड़ कर चिपक जाता। अपने बचाव की कोशिश में वह किसी प्रकार टहनी पकड़ कर चिपक जाता।