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Rajani Ranjan

Tragedy

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Rajani Ranjan

Tragedy

काम

काम

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ऑफिस से निकल शिथिल कदमों से घर की ओर चली।सुबह की बातें अब भी कानों में गूंज रही थी" क्या करती हो घर के लिए " माता जी की हाँ में हाँ मिलाने वाले पुत्र ने भी कोसा था। वह सोचने लगी -ऑफिस से निकल कर सब्जी दूध आदि खरीदना, घर पहुंच कर नाश्ता बनाकर सबको देना, फिर रात के खाने की तैयारी,यह सब क्या है? रात में ही सुबह के नाश्ते की तैयारी कर लेना फिर सबसे पहले उठकर नाश्ता बनाकर टिफिन सबको देना फिर झटपट तैयार हो कर ऑफिस जाना ये सब क्या है। दिनभर विभाग के कामों से शरीर और मन का शिथिल हो जाना , रात्रि में थकान के कारण मुर्दे सा नींद आना क्या काम नहीं है।"

शायद औरत काम नहीं करती।या फिर औरत के काम की कद्र नहीं।सोचती हुई राधा की तंद्रा भंग हो गई जब बच्चे कहने लगे -"मम्मी आज कुछ बनाना।"


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