STORYMIRROR

Rajani Ranjan

Others

4  

Rajani Ranjan

Others

सुहानी भोर

सुहानी भोर

1 min
283

करूँ नमन मैं सूर्य देव को, जिनसे धरती उजियारा।

इनके आने से ही जागे, नर पशु खग दल जग सारा।।


बजते घंटा शंख नगाड़े, पुष्प अर्घ्य दें नर नारी।

रस केसर से धूप आरती , मंत्र गान दे करतारी।

चहुँ दिशि पंछी कलरव करते, नाप रहे हैं नभ प्यारा।।


कृषक चले खेतों में हल ले, नारी सब रंधनशाला।

बच्चों की टोली जा पहुँची, गुरुकुल लगता मतवाला ।

सबके रग में चेतन भरते, रविकर अनुपम इक तारा।।


धीरे धीरे थककर सूरज, वापस अपने घर जाता।

लौट सभी अपने घर जाओ, कहकर सबको समझाता।

 रुप बदलते नभ संग उसके, बदले सब जीवन धारा।।


Rate this content
Log in