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कुमार जितेंद्र

Inspirational

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कुमार जितेंद्र

Inspirational

वरदान

वरदान

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खुशखबरी की आस में, बैठे थे सभी

मायूस सारे हो गए,फिर उसकी आहट हुई

माहौल गंभीर हो गया, जैसे हुआ कोई हादसा

जननी भी गमगीन थी, न दे पाई फिर बादशाह


कल के उधेड़बुन मे, पड़ा था मानो शून्य मे,

तभी किसी ने रख दी, गोद में नन्ही परी

थोड़ी सहमी, थोड़ी सिमटी,

गुमसुम, छुईमुई सी

नज़र मिली तो लगा, इक बात वो कहने लगी

इक बात वो कहने लगी


बाबुल मेरे तनीक मुस्का दे,

तेरी लाडली बनके दिखाऊँगी   

तेरी बगिया की हूँ कोयलिया,

बस मीठे गीत सुनाऊँगी ।       

मै थोड़ी सी मुस्काउँ तो, 

लगे फूल हों गुलशन में      


थोड़ी सी रोउ कभी,

तो बजे गीत हों सरगम में          

मैं बरसाने की राधा सी,  

मै लक्ष्मी, सरस्वती, पार्वती         

मै वही सावित्री बन करके,पति के प्राण बचाऊँगी

जनक मै तेरी वैदेही, हँसते- हँसते वन जाउंगी।


जब जाउं मैं विद्यालय ,

मेरा नाम होगा सबसे ऊपर            

जो उतरु खेलने मैदाने,

हरदम रहूँ सबसे अब्बल               

कुश्ती में साक्षी ,गीता हूँ,

मै सायना,साईना मिर्ज़ा हूँ  

  

मैं उड़नपरी उषा बन,तुझे विश्व विख्यात बनाऊंगी

ओलंपिक से लाके एक दिन,स्वर्ण पदक पहनाऊँगी।

जिस जगह खड़ी होउँ, तेरी जयकार हो जाये

मेरे हर नाम से पहले, तुम्हारा नाम ही आये


तू कह दे तो फ़लक से ,चाँद- तारे तोड़ लाऊँगी

वो अपनी हर खुशी, तेरे गम पे मेहरबाँ कर आये

मैं श्रवण बन ,तेरी हरदम, सेवा बजाऊँगी

इस कंधे बिठा तुमको ,हर तीरथ ले जाउंगी


तेरी योध्दा हूँ ऐसी, जो कभी आजमाना तुम

मैंं काली बन, तेरे दुश्मन ,के सर भी काट आऊँगी

तेरी जननी की प्रतिछाया हूँ,दिखते एहसास कराऊँगी

किसी बेटे से ना कमतर मैं तो,सारे फ़र्ज़ निभाऊँगी


जीने से पहले न मार मुझे, तेरी गुड़िया बनके आई हूँ

इन महलों की सारी रौनक और, तेरी खुशियाँ लाई हूँ।

पढ़ वो भाव अबोध के, मन ही मन शरमा गया

चेहरे पर खिली हंसी, आँखों मे नीर छा गया


मिट गए संताप सारे, टूट गए सारे भरम

ईश्वर का वरदान है बेटी, अब समझ मे आ गया

अब समझ मे आ गया।


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