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Kumar Vikash

Inspirational

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Kumar Vikash

Inspirational

वक़्त

वक़्त

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है अंधेरा कहीं

तो कहीं उजाला होता है ,

है खुशी कहीं

तो कहीं कोई रोता है !!

पूरब का अंधेरा

पश्चिम में उजाला फैलाता है ,

पश्चिम में हो रात

तो पूरब में सवेरा कहलाता है !!

कहीं मातम

तो कहीं शहनाई बज रही होती ,

कहीं प्रेम की भाषा

तो कहीं दुश्मनी ठन रही होती !!

वक़्त के आगे

न कोई राजा रहा न कोई भिखारी ,

वक़्त बदलते ही

रंक बने राजा, राजा बने भिखारी !!

यह जीवन चक्र

सदा चलता रहता है,

वक़्त ठहरता नहीं

यह हमेशा बदलता रहता है !!


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