वक़्त
वक़्त
है अंधेरा कहीं
तो कहीं उजाला होता है ,
है खुशी कहीं
तो कहीं कोई रोता है !!
पूरब का अंधेरा
पश्चिम में उजाला फैलाता है ,
पश्चिम में हो रात
तो पूरब में सवेरा कहलाता है !!
कहीं मातम
तो कहीं शहनाई बज रही होती ,
कहीं प्रेम की भाषा
तो कहीं दुश्मनी ठन रही होती !!
वक़्त के आगे
न कोई राजा रहा न कोई भिखारी ,
वक़्त बदलते ही
रंक बने राजा, राजा बने भिखारी !!
यह जीवन चक्र
सदा चलता रहता है,
वक़्त ठहरता नहीं
यह हमेशा बदलता रहता है !!
