वोकल फॉर लोकल
वोकल फॉर लोकल
आज़ादी का नारा पुकारा था कई साल पहले
१९४७ में हम सब ब्रिटिशों के जुल्मों से आज़ाद हो गये
आज़ादी के कितने साल मनाये हैं हमने
फिर से गूंज रही है वही पुकार
फिर से आज़ाद होना है एक बार
कोरोना जैसे विदेशी रोग से लड़ रहा है सारा हिंदुस्तान
इस रोग ने सेहत के साथ अर्थव्यवस्था पर हमला किया
दोनों तरफ से सोचने पर मजबूर किया
अब बारी है सेहत को तंदुरुस्त रखने की
उसके साथ देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने की
अब उठ रही है आवाज़ स्वदेशी बनेगी
विदेशी वस्तु को बाहर फेंकेगी
फिर से देश को आज़ाद करना है
वोकल फॉर लोकल यही अब सबका नारा है।
