वो सतरंगी पल
वो सतरंगी पल


दिल का आशियाना भी क्या चीज़ है,
पल में कोई है यहाँ, पल में कोई नहीं
याद ही तो वो महफ़िल है,
जिसमे बस सुकून ही सुकून है,
वो सुनहरे सतरंगी पल,
जिनमें है उनके होने का एहसास,
वो प्यारे से लम्हात,
और उनकी मौजूदगी का एहसास,
छोटी-छोटी सी वो हरकतें,
जो आज बन गई हैं नैमतें,
खुदा ने जाने कैसे ये पल दिए हैं,
एक रहमत से जैसे हमें नवाज़ा है,
बहोत खुशनसीब हैं हम,
की उनसे हमारी मुलाकात हुई,
एक प्यारे से इंसान से,
हमारी ज़िन्दगी भी आबाद हुई।