वो शाम
वो शाम


वो शाम भी कितनी हसीन होगी,
जिसमें तुम्हारी बातों पर
मेरे दिल की महफ़िल बनेंगी,
तुम्हारे मुस्कुराने पर इन आँखों
की चमक थोड़ी सुनहरी बनेगी,
ये जो मैं अपनी ख्वाहिशें अपनी
मुस्कान में छुपा सी रही हुँ
इसकी हर नज़रें भी तुम्हारे
सामने न बच पाएंगी,
जब मुश्किलें मेरे चारो तरफ़
होगी तो तुम मुझे उनसे लड़ने का
आसान तरीका भी बताओगे,
ये जो अनकही बातों का
जो शोर हैं इस दिल मे
उनमें भी थोड़ी मिठास
सी आने लगेगी।।
सच मैं वो शाम भी कितनी
हसीन होगी जब तुम और मैं
साथ मिलकर अपनी
कहानी के किस्से दोहरायँगे।।