वो राज़
वो राज़
चल मेरे साथ में, इस स्याह रात में
लुट न जाये कहीं बात ही बात में
दूर सन्नाटे से आ रही आवाज़
और भी गहरा हो रहा वो राज़
वो राज़ वो राज़ वो राज़
चल मेरे साथ में, इस स्याह रात में
लुट न जाये कहीं बात ही बात में
ये ज़मीन भी नहीं, ये फलक भी नहीं
तू कहाँ आ फंसा ये पता ही नहीं
तू लाख बढ़ाता जाये कदम
दूरियाँ फिर भी न होंगी कम
दूर सन्नाटे से आ रही आवाज़
और भी गहरा हो रहा वो राज़
वो राज़ वो राज़ वो राज़
चल मेरे साथ में, इस स्याह रात में
लुट न जाये कहीं बात ही बात में
तुझ पर है किसी की ख़ास नज़र
पर तेरी नज़र तो है बेखबर
आ गया है वो तेरे इतने पास
बुझने वाली है उसके बरसों की
प्यास
दूर सन्नाटे से आ रही आवाज़
और भी गहरा हो रहा वो राज़
वो राज़ वो राज़ वो राज़
चल मेरे साथ में, इस स्याह रात में
लुट न जाये कहीं बात ही बात में
दूर सन्नाटे से आ रही आवाज़
और भी गहरा हो रहा वो राज़
वो राज़ वो राज़ वो राज़