STORYMIRROR

Jyoti Astunkar

Abstract Others

4  

Jyoti Astunkar

Abstract Others

वो पुरानी जगह

वो पुरानी जगह

1 min
241

बंद किवाड़ वो भूरे रंग का

जब खुले तो आवाज़ वो जानी पहचानी सी,

"किनारों के जोड़ों में तेल डाला करो बेटा"

पिताजी की थी सलाह वो रोजमर्रा की,


बरामदे का वो झूला पुराना सा

बस लगा हुआ वहीं वो खाली सा,

"हम दो बैठेंगे और तुम ज़रा झूला देना"

दोस्तों का एक दूसरे को ये कहते रहनाा,


होली का दिन है पर ये सड़कें सूनी हैं

मिट्टी की वो कच्ची सड़कें अब पक्की हैं,

"लाल और नीला यही दो रंग है मेरे पास"

वो शिकायत तो करनी ही है पिताजी के पास,


बचपन की वो गलियां वहीं हैं

दोस्तों के घर तो है पर दोस्त नहीं हैं,

"कल शाम को मिल चौक के मैदान पर"

बातें तो ये होनी ही है हर शाम के आने पर,


वो पुरानी सी जगह वहीं है आज भी

वो पुरानी सी बातें और नजारें है आज भी,

"कितना नया और प्यारा लगता है ना?"

आज फिर पुरानी वो जगह नई सी लगती है ना?



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract