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Akash Deep Chauhan

Tragedy

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Akash Deep Chauhan

Tragedy

वो किसी और

वो किसी और

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नफरत की आंधियों में बेगुनाहों के घर जलते हैं      

घनी बस्ती है फिर भी मोहब्बत को तरसते हैं         

झुर्रियां पड़ जाती हैं एक मकान ,

एक दुकान,एक शख्सियत बनाने में                               

सिरफिरे इस बात को कहां समझते हैं ?     

आज़ादी की खातिर क्या कुछ कुर्बान नहीं किया हमने  

इतिहास के पन्ने दर्ज हर एक खबर रखते हैं ,           

अफ़सोस गुनाहगारों को कोई फ़र्क़ ही नहीं पड़ता 

वो किसी और दुनिया को जन्नत समझते हैं।


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