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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Inspirational

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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Inspirational

वन

वन

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वन है तो जीव है,

वन‌ बिन सब निराधार है।

वन केवल वन नहीं,

वन ही सृष्टि आधार है।


वन से सरिता का उद्भव है,

ध्रुव प्रहलाद का पराभव है।

वन में रसायन संपदा वैभव है,

वन है तो मनुजता संभव है।


वन है तो सुरक्षित वतन है,

वतन परस्ती हमारा ये बदन है।

बली बदन से सुगंधित मन है,

सुगंधित मन से महका चमन है।


महकते चमन से शांति अमन है,

शांति-अमन से यह जीवन है।

वन से ही हर्षित आच्छादन है,

जैसे त्योहारों का आगमन है।


वन से ही जीव है जन्तु है,

वन से उत्पादों का उत्पादन है।

वन में राम-सिया का विचरण है,

जहाॅं घट-घट रमा देवकीनंदन है।


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