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Pooja Kalsariya

Abstract

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Pooja Kalsariya

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वक्त

वक्त

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वक्त का क्या पता कब मुड़ जाए,

पंख लगा हवा में कब उड़ जाए।


जो काम करना वक्त रहते कर लो,

वक्त रहते जिंदगी से तंग लड़ लो।


न जाने अगले कैसे व कहां रहो,

न जाने कितने दुख दर्द सहो।


खिलाड़ी हम नही खिलाड़ी वक्त है ,

पर शरीर में अगले पल न रक्त हैं।


वक्त से सभी तुम अपने काम करो,

वक्त रहते जिंदगी से जंग लड़ो।


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