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PRATAP CHAUHAN

Abstract

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PRATAP CHAUHAN

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वक्त का पहिया

वक्त का पहिया

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अदृश्य वक्त का पहिया चलता है,

बीत जाता है अच्छा वक्त धीरे-धीरे

बुरा वक्त भी इंतिहान लेता है,

और दे जाता है अनुभवों के हीरे


वक्त कभी पीछे मुड़कर नहीं देखता,

उसकी तो यात्रा है अनंत

वह तो चलता रहता है निरंतर,

एक ही पथ पर अग्रसर....

ना ही उसका प्रारंभ है ना ही कोई अंत


अक्सर ऐसा देखा गया है कि,

दिलेर वक्त का इस्तेमाल करते हैं

कहीं कहीं व्यर्थ की कलह में,

कुछ लोग वक्त बर्बाद करते हैं


वक्त सभी को मौका देता है,

अनुकूल वातावरण कर देता है

जो पर रख लेता है वक्त की चाल,

वही सफलता का ऐलान कर देता है।


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