विरहिन को ईश्वर दर
विरहिन को ईश्वर दर
खाली-खाली दिल को एहसासों से भर देता है।
हाँ एक दीवाना मुझको भी दीवाना कर देता है।
बातों और अठखेलियों से दिल मेरा लुभाता-
प्यार और खुशियों से मेरा दामन तर देता है।
वक़्त बिताता संग मेरे ग़म सभी बाँट लेता हैं-
मेरी खुशी वापस लाने को सभी पहर देता है।
मेरे नैनों में नमी उसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं है-
लाख प्रयासों से मुझे हँसने के अवसर देता है।
ख़ुद परेशान कभी जो हो तो बाहों में लेकर-
सारी परेशानियां पल में मन से टर देता है।
ए सखी मेरी ! निःशब्द हूँ कैसे तारीफ़ करूँ-
जानो, जैसे विरहिणी को वो ईश्वर दर देता है।