विनम्रता
विनम्रता
विनय से विद्या आती,
विद्या से मिलती पात्रता।
पात्रता बिन धर्म नहीं,
सुख मिलता, सुख पाता।
विद्या से नम्रता आती,
नम्रता जीवनोपयोगी।
बड़े-बड़े काम बन जाते,
भोगी से बनते जोगी।
दृष्टिकोण को व्यापक करती,
पसरा तिमिर हटाती।
जैसे अंधेरे कक्ष में,
जले दिया और बाती।।
