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Triveni Mishra

Inspirational

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Triveni Mishra

Inspirational

विकासधर्म,सम्प्रदाय,जाति,भाष

विकासधर्म,सम्प्रदाय,जाति,भाष

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धर्म,सम्प्रदाय,जाति,भाषा की लड़ाई छोड़ें

देश को ज्ञान, विज्ञान के विकास पथ पर मोड़ें

मंदिर, मस्जिद,चर्च, गुरूद्वारा पर बहस छोड़ें

नई सोच, विचार,बौद्धिकता को जीवन से जोड़ें

अहंकार,घमंड,ज़िद्दीपन, स्वार्थी स्वभाव छोड़ें

मानव को मानव से आत्मिकता से जोड़ें

जो है इंसान के जीवन जीने के लिए जरूरी

उस मुद्दे के लिए एक स्वर में दें मंजूरी

सुख,शांति,समृद्धि खुशहाली से रिस्ता जोड़ें

देश को ज्ञान-विज्ञान के विकास पथ पर मोड़ें।


छोटी-छोटी बातों पर शीतयुद्ध न करें आदमी

जात-पात का जहर मन में न भरे आदमी

हृदय में जिनके द्वेष भावना छोड़ें वह है आदमी

परहित,परपीर को अपनाए वह है आदमी

नफ़रत दिलों से मिटाऍं स्नेह का बीज बोऍं आदमी

चार दिनों के जीवन में हॅंसे और हॅंसाऍं आदमी

दिलों में प्रेम जगाऍं वह है बुद्धिमान आदमी

झूठा ढ़ोग,दिखावा,आडम्बर से नाता तोड़ें

देश को ज्ञान-विज्ञान के पथ पर मोड़ें

धर्म,सम्प्रदाय,जाति,क्षेत्र की लड़ाई छोड़ें


इंसान हो इंसानियत से मुॅंख न मोड़ें

आपस में हैं सभी भाई-भाई नाता जन से जोड़ें

क्या लेकर आए थे क्या लेकर जाऍंगे?

देशहित का गीत हर कंठ से गाऍंगे

मातृभूमि से बड़ी पूॅंजी जग में नहीं है

अन्य,हवा,पानी,आवास दूसरों ने दिया नहीं है

ध्यान झगड़ा फसाद में लगाना नहीं है

दु:ख देकर सुख किसी को मिला नहीं है

ईश्वर सबका सब उसकी संतान हैं

न कोई बड़ा न छोटा इस बात का सबको ज्ञान है

आपसी नफरत को आज सब छोड़ें

देश को ज्ञान-विज्ञान के पथ पर मोड़ें।


जिस धरा में जन्म हुआ तुम्हारा

जिस भूमि बचपन पला हमारा

उसकी उन्नति से ही हमारी तरक्की है

मिलकर सभी चिंतन,मनन करें जीत पक्की है

जिऍंगे और जीने देना ही सच्ची मानवता है

मानवता से उत्तम कोई धर्म नहीं है

सुखी रहना,सुख देना, सुख बोना

इससे श्रेष्ठ संसार में कोई कर्म नहीं है

जीवन की हक़ीक़त से हृदय को जोड़ें

देश को ज्ञान-विज्ञान के पथ पर मोड़ें

धर्म,सम्प्रदाय,जाति,भाषा की लड़ाई छोड़ें।




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