STORYMIRROR

Bhawana Raizada

Abstract

4  

Bhawana Raizada

Abstract

विजयपथ

विजयपथ

1 min
210

विजय पथ तलाशती

मैं करती निरंतर अभ्यास


हार तो न स्वीकार्य होगी

मेरी पथ प्रदर्शक प्रयास

बन्धन तोड़ नाउम्मीदी के

रख ले दिल में एक कयास


विजय पथ तलाशती

मैं करती निरंतर अभ्यास


रोक न पाउंगी स्वयं को भी

भरी जो मन में एक आस

पल-पल पग-पग बढ़ती जाऊं

रखूँ ध्यान समय का अहसास।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract