विजेता
विजेता
कितने प्यादों को बिछना पड़ा
पग पग पर उन्हें गिरना पड़ा
एक ही था उद्देश्य सभी का
राजा का सिर न झुके, कटे
विजेता का कद हो विशाल
चमके सदा ही उसका भाल
गुणों में बीस था विजेता उनसे
मैदान में था वह डटा हुआ
ऐसे नेतृत्व पर सर्वस्व न्योछावर
हर प्यादा खुशी से शहीद हुआ
एकल बचा रह गया विजेता
जीवन के रण संग्राम में
भीतर बाहर दोनों युद्धों से उसे
हर क्षण है मुक़ाबला करना
धैर्य और मौन की छवि विराट वो
सचमुच है असली विजेता वो।